महात्मा गांधी की 150वी जयंती के अवसर पर नाटय समागम का आयोजन किया गया है। विश्व समन्वय संघ साझा संस्कृति मंच एवं उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि,गंगा गुरुकुलम स्कूल, के सहयोग से “गांधी ने कहा था” नाटक का मंचन किया ।
6 अगस्त को दोपहर 12:00 बजे गांधी भवन प्रेक्षागृह, लखनऊ में “गांधी ने कहा था” नाटक का मंचन ।
7 अगस्त को दोपहर 12:00 बजे गंगा गुरुकुलम स्कूल, फाफामऊ, प्रयागराज, इलाहबाद उत्तरप्रदेश में “गांधी ने कहा था” नाटक का मंचन।
9 अगस्त 2019 की शाम को 5:30 बजे स्थान मुरारी लाल मेहता प्रेक्षागृह, वाराणसी उत्तरप्रदेश में मंचन ।
“गाँधी ने कहा था” नाटक का कथासार
सदभावना के तर्ज़ पर आधारित नाटक “गांधी ने कहा था” आदमियत और सौहार्द फैलाने की मिशाल है, नाटक दिलों को पास लाने का एक छोटा सा प्रयास है एक तरफ यह नाटक तोड़ने वाले ताकतों को बेनकाब करता है तो, दूसरी तरफ यह नाटक जोड़ने वालो को शक्ति प्रदान करता है। यह कोई एतिहासिक नाटक नहीं है, न हीं इस नाटक को इतिहास से परहेज है वर्तमान की तरह इतिहास का भी एक सच होता है और इतिहास का सच जब आज के सच से साम्य स्थापित करता है, तो वर्तमान के साथ साथ इतिहास भी प्रासंगिक हो जाता है
इस नाटक में मुख्य पात्र तारकेश्वर पाण्डेय है जिसके बेटे को देश बटवारे के समय हुए दंगे में हत्या हो जाती है, वो बहुत टूट जाता है , महात्मा गाँधी के कहने पर वो दुसरे धर्म के बच्चे को गोद लेता है, उसे पलता है, उसी के धर्म के तरह, लेकिन बड़े होने पर वह बच्चा धर्म के ठेकेदारों के बहकावे में आ कर अपने राह से भटक जाता है।बाद में महात्मा गांघी जी के विचारो के वजह से वह सही रस्ते पर आ जाता है।
7 अगस्त को दोपहर 12:00 बजे गंगा गुरुकुलम स्कूल, फाफामऊ, प्रयागराज, इलाहबाद उत्तरप्रदेश में “गांधी ने कहा था” नाटक का मंचन।
9 अगस्त 2019 की शाम को 5:30 बजे स्थान मुरारी लाल मेहता प्रेक्षागृह, वाराणसी उत्तरप्रदेश में मंचन ।
“गाँधी ने कहा था” नाटक का कथासार
सदभावना के तर्ज़ पर आधारित नाटक “गांधी ने कहा था” आदमियत और सौहार्द फैलाने की मिशाल है, नाटक दिलों को पास लाने का एक छोटा सा प्रयास है एक तरफ यह नाटक तोड़ने वाले ताकतों को बेनकाब करता है तो, दूसरी तरफ यह नाटक जोड़ने वालो को शक्ति प्रदान करता है। यह कोई एतिहासिक नाटक नहीं है, न हीं इस नाटक को इतिहास से परहेज है वर्तमान की तरह इतिहास का भी एक सच होता है और इतिहास का सच जब आज के सच से साम्य स्थापित करता है, तो वर्तमान के साथ साथ इतिहास भी प्रासंगिक हो जाता है
इस नाटक में मुख्य पात्र तारकेश्वर पाण्डेय है जिसके बेटे को देश बटवारे के समय हुए दंगे में हत्या हो जाती है, वो बहुत टूट जाता है , महात्मा गाँधी के कहने पर वो दुसरे धर्म के बच्चे को गोद लेता है, उसे पलता है, उसी के धर्म के तरह, लेकिन बड़े होने पर वह बच्चा धर्म के ठेकेदारों के बहकावे में आ कर अपने राह से भटक जाता है।बाद में महात्मा गांघी जी के विचारो के वजह से वह सही रस्ते पर आ जाता है।
संस्था की ओर से इस आयोजन में विश्व समन्वय संघ की चैयरमेन सुश्री कुसुम शाह जी, श्री अतुल कुमार जी ( उपाध्यक्ष/ कोषाध्यक्ष, विश्व समन्वय संघ) , श्री राजकुमार ( सचिव, विश्व समन्वय संघ) सुश्री निर्मला जलीवान दिल्ली से लखनऊ, इलाहबाद ,वाराणसी गये।