समन्वय भाव अपने आप में पूर्ण वह भाव है जो आध्यात्म की द्रष्टि से लोगों के आत्मीयता पूर्ण बन्धनों का प्रेरणा स्त्रोत बनता है।
पूज्य काकासाहेब कालेलकर जी द्वारा दिया गया मंत्र "समन्वय ही युग धर्म है" जिसमे सबका विकास, सर्वांगीण विकास समाहित है और आत्माधार्मिक बन्धनों, भेद भाव, छुआ छूत को नहीं मानती। यह प्रेमपूर्वक और विश्वासपूर्वक सबके ज्ञानमय और भक्तिमय कर्म को ही अखंड आधार मानती है।
आचार्य काकासाहेब कालेलकर जी द्वारा संस्थापित "विश्व समन्वय संघ" 13 जून 1968 के दिन पंजीकृत हो अस्तित्व में आया।
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जून 2018 की शाम को विश्व समन्वय संघ और पूज्य काकासाहेब कालेलकर जी द्वारा ही स्थापित "गाँधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा" के साथ सहयोग से "रोजा इफ्तार की दावत" का आयोजन बड़े उत्साहित होकर सन्निधि भवन, राजघाट , दिल्ली -२ में किया ।
ईस्लाम में खुदा की इबादत के लिये रमज़ान के पाक महीने को महत्व दिया जाता है। रमज़ान या रमदान एक ऐसा विशेष महीना है।